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मानव स्वभाव
हरि शरण...

यदि जीवन भर किसी ने भगवान की भक्ति नहीं की, शरण ग्रहण नहीं की; परन्तु आपत्ति पड़ने पर उन्हें पुकार रहा है तो क्या भगवान उसकी पुकार सुनेंगे?

इसमें संशय प्रतीत होता है,मानव स्वभाव के अनुसार तो परंतु भगवान हम लोगों जैसे नहीं है हैं l इतने दयालु हैं कि ऐसे व्यक्तियों की प्रार्थना भी सुनते हैं l गीता में श्रीकृष्ण इस प्रकार के आर्त भक्तों को भी उदार बताते हैं कोई भी परीस्तिथी हो ,

चाहे मृत्यु ही हो भगवान उसे मिटा सकते हैं l परंतु इसका यह अभिप्राय नहीं है कि आगे जीवन में कोई अनचाही परिस्थिती नहीं आएगी या मृत्यु नहीं आएगी l शरीर और संसार नित्य परिवर्तनशील है , अच्छीऔर बुरी परिस्थितियां तो आएंगी ही, मृत्यु भी आएगी l

परीक्षित ने फिर भी एक दिन शरीर को छोड़ा ही l चीरहरण से तो बच गई परंतु आगे जीवन में द्रोपती ने दुख तो देखे ही परंतु फिर भी एक दिन उसकी स्वाभाविक मृत्यु हुई. जो संत भगवान को प्राप्त कर चुके हैं उन्होंने हमें सीख दी है कि भगवान से अनित्य वस्तु या परिस्थिति ना मांगे, भगवान से तो उनका प्रेम और भक्ति ही मांगी जाती है l

भक्ति मिलने के बाद तो भगवान भी हमारी चरण- धूलि के लिए तरसते हैं l यही कारण है कि अभिमन्यु ने युद्ध भूमि में अपनी जीवन रक्षा के लिए मामा कृष्ण को नहीं पुकारा(यहां तक किअर्जुन के आग्रह पर भगवान कृष्ण द्वारा बुलाए जाने पर पुनः उसी शरीर में जीवित होना भी अस्वीकार कर दिया l

इस प्रकार अङ्गिरा ऋषि ने चित्रकेतु को प्रारब्ध के विरुद्ध पुत्र दिया ;परन्तु वह अन्य रानियों द्वारा मार दिया गया l नारदजी ने जीवात्मा को बुलाया तो उसने चित्रकेतु को पिता मानने से इंकार कर दिया -- l और सर्पदंश से बचने के लिए राजा परीक्षित ने भगवान से याचना तक नहीं की ; इसके विपरीत शुकदेव जी से भागवत सुनकर शांतिपूर्वक स्वेच्छा से शरीर त्याग कर आवागमन से अवकाश पाया l

गजेंद्र ने जीवन-रक्षा नहीं मांगी ,अज्ञान मिटने की याचना की जो ज्ञान या भगवान की कृपा से समाप्त होता है, और इसलिए हरि ने उसे सारूप्य मुक्ति दी
निष्कर्ष ?यह कि भगवान सब समर्थ हैं ,सब पदार्थ देनेवाले ,सब मनोरथ पूर्ण करने वाले, लिहाजा प्रारब्ध टाल सकते हैं l

परन्तु नाशवान वस्तु ,व्यक्ति या परिस्तिथि माँगने से क्या फायदा ? धन क्या मांगना ? एक दिन समाप्त होगा मृत्यु क्या टालना ? फिर भी आएगी ही l

समझदारी यह है कि भगवान से कुछ ना मांगे l घोर विपत्ती आने पर भी उसे भोगें, भगवान का प्रसाद समझकर l भगवान से भक्ति मांगे उनका प्रेम मांगे उनका धाम मांगे और हमेशा के लिए जन्म मृत्यु के चक्कर से छुटकारा पाएं

कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा हरी शरण में आने के बाद
हर ख़ुशी मिल जाएगी तुझे चरणों में झुक जाने के बाद

बुद्धम:शरणम:गच्छामि;🙏🏻💐
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