...

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इंसान
पानी की ज़रूरत रेगिस्तान को होती है,
चाँद की ज़रूरत आसमान को होती है
सब भूल बैठे मगर हम कैसे भूल जायें कि
इंसान की ज़रूरत उसके परिवार को होती है

माना कि पैसा सबके पास है मगर,
मदद करने के लिए इंसानियत की ज़रूरत होती है
वक़्त अच्छा हो तो पलकों पर बिठाते हैं,
सितारे गर्दिश में हों तो शख्शियत भी बेगानी लगती है

रिश्तों की गहराई को समझो, गर समझ सको तो
अपनों की ज़रूरत हर जगह हर लम्हा होती है
जो अपना नहीं उसे जाने दो, रिश्ता बोझ है उस पर
जिसे क़द्र नहीं, उसे आपकी ज़रूरत भी नहीं होती है

गया इंसान एक दिन लौटता है, जब वक़्त खिलाफ हो
इंसान एक दूसरे के लिए ज़रूरी है तब समझ आती है
दुआओं की भीड़ में एक दुआ मेरी भी क़ुबूल कर खुदा
ऐसे लोगों से मत मिलवा, दिल को बड़ी तकलीफ होती है

सफलता की होड़ में असफलता को भी गले लगाना पड़ता है
पानी की ज़रूरत तब समझ आती है जब प्यास चरम होती है
अपना नहीं उसे जाने दो, पीछा छुड़ाने के रोज़ बहाने करते हैं
वरना अपना समझने वालों को जाने की ज़रूरत नहीं होती है

© सुधा सिंह 💐💐