विधवा...
विधवा...
दो साल के मासूम बच्चे के साथ एक विधवा अपने छोटे से मकान में रहती..पति के गुजरते ही जिंदगी बोझ लगने लगी पर बच्चे के लिये जीना है उसे, मगर जहाँ रहती वहाँ आस पड़ोस मनचलों से भरा..था, ना जाने कितनी बार अश्लील इशारे, सीटियां, और तरह तरह से उसे अपने प्रभाव में लेने की नाक़ाम कोशिश की पर.. कोई फर्क ना पड़ा.. सबको एक मौके की तलाश हर वक़्त रहती पर दांतों के बीच जीभ कैसे अपने आपको संभाले रखती है ये उस विधवा को आता था, एक दिन पड़ोसियों ने देखा, कोई अंजान आदमी शाम को उस विधवा के घर आता.. और घंटे भर बाद चुपचाप निकल कर चला जाता.. एक दो बार तो किसी ने तूल ना दिया लेकिन रोज रोज उस परपुरुष का उस विधवा के घर आना, एक तो पड़ोसियों को अच्छा ना लगा वहीं मनचलों के कलेज़े में फफोले पड़े जा रहे थे.. पूरे मोहल्ले में...
दो साल के मासूम बच्चे के साथ एक विधवा अपने छोटे से मकान में रहती..पति के गुजरते ही जिंदगी बोझ लगने लगी पर बच्चे के लिये जीना है उसे, मगर जहाँ रहती वहाँ आस पड़ोस मनचलों से भरा..था, ना जाने कितनी बार अश्लील इशारे, सीटियां, और तरह तरह से उसे अपने प्रभाव में लेने की नाक़ाम कोशिश की पर.. कोई फर्क ना पड़ा.. सबको एक मौके की तलाश हर वक़्त रहती पर दांतों के बीच जीभ कैसे अपने आपको संभाले रखती है ये उस विधवा को आता था, एक दिन पड़ोसियों ने देखा, कोई अंजान आदमी शाम को उस विधवा के घर आता.. और घंटे भर बाद चुपचाप निकल कर चला जाता.. एक दो बार तो किसी ने तूल ना दिया लेकिन रोज रोज उस परपुरुष का उस विधवा के घर आना, एक तो पड़ोसियों को अच्छा ना लगा वहीं मनचलों के कलेज़े में फफोले पड़े जा रहे थे.. पूरे मोहल्ले में...