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शीर्षक - गायत्री
शीर्षक - गायत्री


क्यँ.... क्यँ.... क्यँ.... पूरे घर में बच्चे की आवाज गूंज रही थी| मेरे साथ- साथ मेरे पति और मेरे दोनो देवर भी बहुत खुश थे| बड़े अरसे बाद हमारे घर में इतनी खुशियां आई, मेरे बेटे के रूप में|

मैं अनुपमा पेशे से, मैं सरकारी शिक्षक हूं और मेरे पति भी| एक कार एक्सीडेंट में मेरे सास-ससुर गुजर गए| मेरे पति और उनके दो भाइयों की परवरिश खाला अम्मी ने की थी|

खाला अम्मी मुस्लिम है| मेरे ससुर जी के सबसे अच्छे दोस्त की बीवी, जो इस संसार में अकेली थी| मेरे साथ-ससुर के गुजरने के बाद खाला अम्मी ने ही मेरे पति और मेरे दोनों देवरो को पाला|

कैलाश ( मेरे पति) और उनके दोनों भाइयों की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर ही आ गई| पैसे की कभी नहीं थी| कैलाश के साथ- साथ मनू और अजीत (मेरे देवर ) ने भी अच्छी पढ़ाई की और जिंदगी में आगे बढ़े|
खाला अम्मी की नई-नई शादी हुई थी और उनके पति , मेरे सास- ससुर के साथ पारिवारिक सम्मेलन में गए थे, जो वापस कभी ना आए |

कैलाश की अच्छी नौकरी लग गई थी| अजीत अपना खुद का बिजनेस करना चाहता था, तो कैलाश ने भी उसका साथ दिया| अजीत का बिजनेस जैसे-जैसे आगे बढ़ा, मनु भी उसके साथ उसी के काम में लग गया| रिश्तेदारों की मेहरबानी से, मैं और कैलाश मिले और हमारी शादी हो गई|

मन में घबराहट थी, कि मैं इतने बड़े घर को अकेले कैसे संभालूंगी! पर खाला अम्मी बिल्कुल मेरी मां जैसी ही रही और मेरे देवर भी मेरा ख्याल रखते है| कैलाश भी बहुत समझदार और शांत स्वभाव के हैं| धीरे-धीरे में इस घर के रंग मे रंग गई |

मेरे स्कूल और कैलाश के स्कूल जाने के बाद पूरा दिन खाला अम्मी ही पूरे घर का ख्याल रखती थी|
फिर शादी के 2 साल बाद हमारे जीवन में मेरा बेटा आया| ढोल-नगाड़ों से मेरे देवरो ने मेरा और मेरे बेटे का घर में स्वागत किया|

समय के साथ-साथ अब खाला अम्मी की भी उम्र हो चली थी| खाला अम्मी से अब घर का ज्यादा काम ना होता था| उन्होंने मुझसे किसी नौकर को रखने को कहा, जो मेरे घर के साथ - साथ मेरे बेटे का भी ख्याल रखें| मैंने भी खाला अम्मी की हां में हां मिलाई|
कुछ दिन बाद ही खाला अम्मी ने मुझे...