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👉मेरे 🤷विचार 🤔🤔💫💫
गुड़िया चाहे ना लाना..... पापा जल्दी आना.....बचपन की ना जाने कितनी यादे जोडे हुए हैं ये गीत|

ये गीत भले ही बच्चे वाला हो,लेकिन बहुत ही मर्मिस्पर्शी हैं,
जिस को सुनते हुए आंखें भर जाती हैं |
परदेश गए अपने पापा के इंतजार में बच्चे किस तरह आस लगाये हुए बैठे है|
यही बात कहीं गई है इस गीत में|जी हा 1सात समुंदर पार से गुड़ियों के बाजार से ,
अच्छी सी गुड़िया लाना,
गुड़िया चाहे ना लाना पापा जल्दी आना |
जहां एक तरफ मासूमियत और दुसरी तरफ पिता के लौट आने की आस है ,वही बच्चों की परिपकवता को भी दीखाता है |ये पंकति "गुड़िया चाहे न लाना " |आप चाहे कुछ न लाना हमारे लिए, लेकिन तुम बस जल्दी आ जाओ
आनंद बख्शी के ये सिधे सरल बोल
और उस पर "लक्ष्मीकांत प्यारेलाल"का सिद्ध और दिल को छू लेने वाला प्यारा संगीत| गीत को भी वही ट्रीटमेंट मिला जिस की इसे जरूरत थी गीत के गायक और कलाकारों के नाम जिसकी उसे जरुरत थी |
लता जी की आवाज़ तो आप लोग पहचान सकते है |जो की मेरा आदर्श है खैर आगे की बात को शुरू करते हैं लता मंगेशकर जी इस गीत की प्रमुख गायिका हैं |इसके अलावा इस गाने में तीन छोटे छोटे बच्चों की भी आवाज सुनाई दी होगी आपको|
क्या आपको पता है की ये छोटी गायिकाएं कौन थी |चलो मैं ही बता देती हूं 1ये आवाजें है सुलक्षणा पंडित,मीना पतकी, 1और इला देशाई की है |1ये गीत तकदीर फिल्म का है जो की 1897 की फिल्म है
जिस्के मुखिया कलाकार
भारत भूषण
शालिनी
फरीदा जलाल

यह फिल्म" kokdi" निर्मोक का रिमेन था|



❤️thankyou ❤️

© hema singh __