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त्रिभंग मुद्रा…और मैं
त्रिभंग मुद्रा…और मैं

भारतीय स्थापत्य कला में त्रिभंग मुद्रा का एक विशेष स्थान है।दसवीं-बारहवीं शताब्दी के अधिकांश मंदिरों में प्रतिमाएँ इसी त्रिभंग मुद्रा में उकेरी जाती थीं।

मंदिरों के गर्भगृह के बाहर द्वारपाल, मुख्य मण्डप के स्तम्भों पर नायक-नायिका एवं छत के गोलाकार छत्र पर यक्ष-यक्षिणी एवं...