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मदद मांग ♿



शाम के वक्त ईथन और विक्रांत पार्क में बैठे बातचीत कर रहे थे । दोनो व्हीलचेयर पर थे। ईथन इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर पर था क्योंकि उसकी पूरी बॉडी पैरालाइज थी । ईथन अपने मुँह के सहारे अपनी इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर चलता था । विक्रांत दोनों पैरो से विकलांग था । वह भी मैन्युअल व्हीलचेयर पर था ।


इथन ने विक्रांत से पूछा, 'तुम्हे कैसा लगता है, जब तुम किसी से मदद मांगते हो ?'

विक्रांत ने कहा, 'कई बार मुझे थोडा अजीब महसुस जरुर होता है । जब में यह भूल जाता हूँ कि दुसरे हमारी मदद कर खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस करते है, और अपने बुरे कर्मो से थोडी माफी पा लेते है ।'

ईथन ने चोंकते हुए कहा, 'क्या ! तुम सच में यह सब दिमाग मे लेकर घुमते हो ? तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो कि कोई तुम्हारी मदद कर पापों से मुक्ति पा लेगा ?'

विक्रांत जोर हंसा और कहा, 'नहीं... यह सच नहीं है कि मैं अपने दिमाग में ये सब लेकर घूमता हूं। लेकिन यह अपने अनुभव से कह रहा हूं ।'
'अपने अनुभव से ? मतलब ?' ईथन ने पूछा।

विक्रांत ने अपने जवाब के पक्ष में उतर देते हुए कहा, 'जब मैं किसी से मदद मांगता हूं तो उन्हे मेरी मदद करने से ज्यादा खुशी इस बात की होती है कि जो मेरे लिए नामुमकिन सा था, उसे उन्होने मिलकर कर दिया । उन्हे एक आत्मसंतुष्टि होती है । वे मानते है इससे अच्छा कर्म कोई और नहीं हो सकता है । इस चीज का फायदा हमें मिलता रहता है ।'

विक्रांत ने मस्करी के अंदाज में आगे कहा, 'जो समझदार लोग हैं वे इसे एक कर्तव्य के रूप में देखते हैं, और दूसरे लोग हैं वे एक अच्छे कर्म के रूप में देखते हैं । इसलिए मुझे यह सोचकर ज्यादा परेशानी नहीं होती है कि मैं किसी को परेशान कर रहा हूं । वास्तव में, मै तो लोगों की भलाई कर रहा हूं ।'

'नहीं, सही में बता ।' ईथन ने संजिदा भाव से पूछा, 'आखिर तुझे क्या लगता है, जब भी तू दुसरो से मदद मांगता है और तुझे हर काम के लिये कोइ दुसरा चाहिये होता है ?'

विक्रांत ने कहा 'मै अगर सच बताउ तो, मुझे कभी नहीं लगता कि मैं किसी दुसरे को परेशान कर रहा हूँ।'
'मै ये समझता हूँ कि अगर मै मदद लेते वक़्त खुद परेशान होता हूं तो मैं मदद करने वालो के लिये थोडी और परेशानी खडी कर दूंगा । कहीं ना कहीं खुद को भी छोटा महसुस करने लगूगा । हम जितना दिमाग में सोचते है ,लोग उतना परेशान हम से होते नहीं है । लेकिन मदद करते समय उनके माथे पर आयी एक सिलवट हमारे मन में हजारो सवाल खडे कर देती है । हम बहुत जल्दी इसे अपनी कमी, और 'इस जहाँ मे हमारे वजह से कितने लोग परेशान है के रुप में देखने लगते है ।
'लेकिन हमे यह समझने की भी जरुरत है कि उन माथो की सिलवटो का सीधा कारण हम ना हो कर, वो सिलवटे तो काम को करते वक़्त लगने वाले बल के कारण भी आ ही जाती है। और जो मदद कर रहा है उस पर कोइ एसी बाध्यता नहीं है कि वो मदद भी करे, और उन सलवटों को हम से छुपाये भी । ऐसी कामना मैं तो कभी नहीं रखता हूँ ।

'एक बात जो मैंने आज तक ज़िंदगी में जानी है। जिसने मेरी बहुत सी आशंकाओं को दूर कर दिया है । वो यह कि यहा इस दुनिया मे हम 'वो अलग' नहीं है जो हम खुद को समझते है । जैसे हमारे घर मे दिवार पर बहुत उपर टयुब लाइट लगी हुइ होती है, और उसे बदले के लिये समान्य इन्सान वहा तक नहीं पहुंच पाता है तो वह किसी की मदद लेता है या किसी को बुला कर वह काम करवाता है । उसी तरह घर और अन्य चिजे हमारे हिसाब से नहीं बनी हुइ है । इसलिये हमे मदद की जरुरत पडती है, और हमे मदद लेनी पड़ती है । ये कोइ गलत बात भी नहीं है । एसा नहीं है कि हम हर चीज कर नहीं सकते है, लेकिन जहां हमे जरुरत महसूस होती है, वहाँ मदद मांगना बुरा नहीं है । सबसे आखरी मेरी सोच यही है कि अगर इस जहाँ मे जिना है तो संघर्ष के साथ- साथ, जो हमारे बस से बाहर है, उन मामलो मे बेशर्म होना हि होगा। पता है इथन हमारे मामले मैं क्या चीज सबसे अलग है..."हममे जो लोगो की नजरो में हमारी हिम्मत कही जाती है । उसे हम खुद बेशर्मी मानते है जो हमारे लिए सबसे खतरनाक चिज है।" ' वक्रांत ने यह कहते हुए अपनी बात को पुरा किया।

इथन ने एक और प्र्श्न का इशारा किया, 'मेरे जैसे का जो 100 मे से 100 है वो क्या करे ?'
'मतलब ?..क्या ?.. 100 हो तो हो इसमे क्या है ?' विक्रांत ने पुछा।

'देखो... मैं तुम से सिनियर हूँ ना,' इथन ने आंखों से अपने शरीर की तरफ इशारा करते हुए कहा ।

विक्रांत ‌‌ने कहा, 'ये सब तो तुम्हे खुद को समझना होगा । दुसरा तुम्हे बस थोडा सा रस्ता दिखा सकता है, जहां से तुम सोचना शरू कर सकते हो । हकीकत तो यह है कि हमें दुनिया की नजर से खुद को देखना बंद करना होगा, क्योकि वो नजर हमारे लिये बनी ही नहीं है ।'

'ओह ! अच्छा तो अब हमे एक खुद की दिव्य दृष्टि विकसित करनी होगी' इथन ने एक भौंह ऊपर उठाया ।

विक्रांत ने दबी हँसी हँसते हुए, 'हाँ... इसमे कुछ गलत भी तो नहीं है ना । हम अलग है, तो हमे एक अलग सोच भी विकसित करनी होगी । तुम्हे सभी प्रश्नों के जवाब पता है, लेकीन तुम रोज के एहसान के बोझ के निचे दबे जा रहे हो । तुम्हे अपने खुद के जवाब पर यकीन नहीं है । बस किसी दुसरे की मोहर चाहीये । लेकिन सबसे शुद्ध जवाब वही होता है जो दिल से निकलता है।'

इथन कुछ देर रुका, फिर बोला, 'मुझे लगता है, जो मेरी ये हालत है । उसमे अगर मैं देखना चाहू, कि सबसे ज्यादा कष्ट और परेशानी कौन झेलता है ? तो वह मैं हूं । दुसरे नम्बर पर मेरी माँ थी, जहाँ अब सिया है । इसके बाद वो लोग आते है, जो मेरी मदद करते है । लेकीन जो सच में मेरे दर्द को महसूस करते है । उनमे माँ-बाप और कुछ आस पास हमेशा रहने वाले एक-दो अपनो के अलावा, कोइ नहीं होता है । इस लिये ये सोचने वाली बात है, जब सब को पता है कि कौन सबसे ज्यादा कष्ट पा रहा है तो उनके मन में ये कभी नहीं आ सकता है कि हम उन्हे परेशान कर रहे है । अगर आता भी है तो वह एक इसानी भावनात्मक प्रतिक्रिया है जो थोडी कठिनाइ आने पर हर किसी से प्रकट होती है ।'

विक्रांत ने हामी भरते हुए कहा, 'बिल्कुल यही तो बात है । हमारी समस्याएं दूसरों की समस्याओं से बहुत ज्यादा बड़ी है । यह बात हर कोई समझता है लेकिन हम उनकी थोड़ी सी मदद से ही खुद को उनके सारी परेशानियों का कारण मान लेते हैं । उनको हमारे इन विचारों का पता नहीं होता कि तुम ऐसा सोच रहे हैं वरना वे उसे भी हमारे लिए छुपाने की कोशिश जरूर करते ।
लेकिन होता क्या है कि हम अपने आप को छोटा महसूस कराने के लिए कोई ओर वजह या बहाना ढूंढ लेते है । इसलिए जरूरी है कि हम चीजों को अपनी नजर से देखना शुरू करें, ना कि हम अपनी तुलना दूसरे सामान्य लोगों से करते हुए यह देखें कि वे कौन से काम अपने आप कर लेते हैं और कौन से काम दूसरों से करवाते हैं । इन मामलों में हम हमेशा पीछे रह जाएंगे । यह सच है कि हमारे पास विकल्प और संसाधन भी सीमित हैं, लेकिन इन्हीं सीमित विकल्पों के साथ में कुछ ना कुछ करते जाना है बस यही एक चारा है ।
दूसरी बात, हम बहुत निराश होते हैं लेकीन यह हर व्यक्ति के साथ होता है । क्या जो समान्य लोग है वे भी ज़िन्दगी से परेशान नहीं होते है ? वे भी अपनी जिंदगी को बेहतर बनाना चाहते हैं,और हम भी बेहतर बनाना चाहते हैं ।
हम बहुत सी खुशीयो में शामिल नहीं हो सकते, यह सच है । लेकिन हम एक ऐसे भविष्य के लिए प्रयास कर सकते हैं , जहां हम कुछ ऐसा माहौल बना पाए कि हम हमारा मन करें वैसा कुछ कर सके । हम अपने आपको कहीं भी अपनी इच्छा के अनुसार जहां चाहते है वहां पहुँचा सके । खुद को वहां पर जाने के काबिल बनाए ।
इसलिये हमें महनत से ऐसे लोगों के पास में पहुंचना होगा, ऐसी जगह पर पहुंचना होगा जहाँ हम असानी से अपनी जिंदगी को कमा सके और जी सके ।'

इथन ध्यान से बातों को सुन रहा था। तब तक विक्रांत की कैब आ चुकी थी। विक्रात इथन से जाने की अनुमती मांगी और मुस्कराते हुए इथन की व्हीलचेयर हैंडरेस्ट को छुआ। इथन ने मुस्कराते हुए कहा 'तुम्हारी समझ फेबुलस है, जितना आसानी से तुम बातों को बोलेते हो, वो शायद उतनी आसान ना हो, लेकिन फिर भी सब कुछ सोचने के बाद अंतिम समझदारी यही रहेती है, और अंतिम सच भी यही है'

इथन ने मुस्कराते हुए कहा 'तुम्हारी समझ फेबुलस है, जितना आसानी से तुम बातों को बोलेते हो, वो शायद उतनी आसान ना हो, लेकिन फिर भी सब कुछ सोचने के बाद अंतिम समझदारी यही रहेती है, और अंतिम सच भी यही है ।'

विक्रांत‌‌ मुस्कुराया, 'यही तो जिंदगी है इथन । मैं रोज तुम से कुछ ना कुछ सिखता हूँ, और ये एक सकरात्मक सोच तुम से ही मुझ में उपजी है । ये दोस्तो को 'तुम' बोलने का हौसला भी ।'

इथन ने जोर से हँसते हुए कहा, 'ओह ! एसा क्या? मैं तुम्हे और भी बहुत कुछ सिखा सकता हूँ और शायद वो हिम्मत केवल मै ही तुम में पैदा कर सकता हूँ ।'

विक्रांत के चहरे पर एक बडी हंसी थी जो यह बता रही थी कि वह शर्मा रहा था, "हां ! जरूर क्यों नहीं ? उसी मामले में तो मैं कच्चा हूं और तुम्ह से बच्चा हूँ।"

विक्रांत ने अलविदा कहा । वह कैब की तरफ चल दिया । इथन दूर से उसकी तरफ ही देख रहा था ।

विक्रांत ने ड्राइवर को कहा, 'हलो भइया, प्लीज हेल्प ।'

ड्राइवर खिड़की खोलते हुए, 'हाँ ... ओके ओके,'

पास आने पर विक्रांत ने ड्राइवर को समझाया, 'जब मैं कहूं, तब मुझे कंधों के नीचे से पकड़कर थोड़ा आगे धकेल देना और ध्यान रखना जब तक मैं ना कहूं मुझे छोड़ना मत, '

विक्रांत ने खुद अपने आप आगे सीट की तरफ बैठने की कोशीश की और ड्राइवर ने भी मदद की ।

उसके बाद विक्रांत आराम से कुछ देर तक ड्राइवर को समझाता रहा, व्हील्चयेर को फोल्ड कैसे करना है? कुछ देर तक उसे समझाने के बाद ड्राइवर ने व्हीलचेयर को फोल्ड कर लिया और उसे गाडी की पिछली सीट पर रख दिया ।
जाते हुए विक्रांत इथन की तरफ देख कर मुस्कराया और सर हीला कर अभिनंदन किया । इथन ने मुस्कान के साथ अभिनंदन स्वीकार किया ।

इथन को विक्रांत बहुत ज्यादा पसंद आ गया था। वह चाह रहा था कि विक्रांत कुछ देर और बैठा रहे ।

शाम के वक्त सूरज डूबने वाला था। डुबते हुए सूरज की रोशनी पार्क की घास को चमकाए हुए थी । इथन ऋषभ के इंतजार में अपनी इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर को घास पर इधर-उधर घुमाते हुए हरियाली को देखता रहा ।