झरना।
कुछ लोग झरने की तरह होते हैं। दूर से देखने में बिल्कुल शांत और ख़ूबसूरत।पास आओ तो इक घना शोर, इक शोर दिलों के राज़ों का । उन लोगों के राजों का जो अपनी बहुत सारी बात अपने बहुत सारे राज जो वो किसी से नहीं कह पाते, इन झरनों के किनारे बैठ कर इनको देखते हुए अपनी आंखों की जुबान से सब कह जाते हैं ।और ये झरने उनकी सुनते भी है ।और वह कितना भी चाहे उनके राजों को ,उनके दर्द को छुपाना ,लेकिन वो एक शोर बन कर लोगों के कानों में पड़ ही जाते हैं।
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि चाह कर भी कोई इस शोर को ,इसकी जुबां को समझ नहीं सकता ।उन्हें कोई अल्फ़ाज़ नहीं दे पाता।
वैसे ही कुछ लोग होते हैं। दूर से देखने में बहुत शांत..... करीब जाओ तो होटों पे एक मुस्कान।लेकिन आंखों में झरने जैसा शोर ,जिन्हें लोग सुन कर भी,चाह कर भी कभी समझ नहीं पाते।
© fayza kamal
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि चाह कर भी कोई इस शोर को ,इसकी जुबां को समझ नहीं सकता ।उन्हें कोई अल्फ़ाज़ नहीं दे पाता।
वैसे ही कुछ लोग होते हैं। दूर से देखने में बहुत शांत..... करीब जाओ तो होटों पे एक मुस्कान।लेकिन आंखों में झरने जैसा शोर ,जिन्हें लोग सुन कर भी,चाह कर भी कभी समझ नहीं पाते।
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