अपना कहूं या बेगाना
बात कुछ साल पहले की है, जब मेरी BA लास्ट ईयर के परीक्षाए चल रही थी । परीक्षा केन्द्र मेरे गाँव से बहुत दूर था और हमारे लिए अनजान भी क्योकि उस तरफ कभी दौरा नहीं हुआ । परीक्षा केन्द्र पर मुझें सात बजे पहुँचना था इसलिए मैं और पिताजी लगभग पाँच बजे घर से रवाना हुए । हल्की - हल्की ठंड पड़ रही थे , फ़रवरी का महीना , परीक्षा का पहला दिन । मैं काफी उत्साहित थी क्योंकि पूरे साल जो पढ़ा , सीखा उसका परिणाम मुझे मिलने वाला था । हमारी गाड़ी तेज रफ्तार से चल रही थी , मानों उसको मुझसे जल्दी पहुँचना था। लेकिन कुछ ही देर बाद सुनसान जगह पर जाकर गाड़ी ने साफ - साफ जवाब दे दिया की अब मुझसे ओर...