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सफर की खूबसूरत यादें
सफ़र पर जाना किसे पसंद नहीं होता? खासकर तब, जब मंज़िल आपकी पसंदीदा हो। घूमने-फिरने का मज़ा तब और बढ़ जाता है, जब हम अपनी मनपसंद जगहों पर होते हैं।

ज़िन्दगी की व्यस्तता के बीच जब कभी हमें खुद से मिलने का समय मिलता है, तब प्रकृति की गोद में जाकर हम उस सुकून और शांति को महसूस कर पाते हैं, जिसे हम हमेशा खोजते रहते हैं।

मुझे भी नई-नई जगहों पर घूमने का बहुत शौक है, खासकर वे स्थान, जहाँ का वातावरण शांत और मन को मोहने वाला हो।
पहाड़ों की ऊँची चोटियों पर फैली धुंध और सूरज की किरणें जब हरियाली को सोने जैसा दमकाने लगती हैं, तब मन अनायास ही उन रंगों में खो जाता है।
वहीं समुद्र किनारे लहरों का संगीत और सूर्यास्त का वह सुनहरा दृश्य आत्मा को अद्भुत शांति से भर देता है।

परिवार के साथ यात्रा का अपना ही आनंद होता है। हर हंसी-मजाक, छोटी-छोटी शरारतें, और कभी-कभार मिलने वाली डांट भी बाद में हंसी और खुशी के पल बन जाते हैं।
यह बात तब की है, जब मैं अपने पूरे परिवार के साथ एक ऐसे ही सुहाने सफर पर निकली थी। हमारा 14-15 लोगों का समूह था। 15 दिनों का यह सफर जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी के दर्शन से शुरू हुआ और फिर हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून और मसूरी होते हुए घर लौटने का कार्यक्रम था। हमारा सफर ट्रेन से शुरू हुआ, और मैं खिड़की वाली सीट पर बैठ गई, क्योंकि प्रकृति के बदलते रंगों को देखना मुझे एक अनकही खुशी और सुकून देता है।

सभी लोग मस्ती-मज़ाक में लगे हुए थे, और मैं अपनी दुनिया में खोई हुई थी, प्रकृति के इस अद्भुत दृश्य को निहारते हुए। मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि काश! मेरा घर भी इन वादियों के बीच कहीं होता।

जम्मू स्टेशन पहुँचकर हम कटरा गए, जहाँ होटल में थोड़ा आराम करने के बाद शाम को माता के दर्शन के लिए निकले। बचपन से ही मैं थोड़ी जिद्दी और चुलबुली रही हूँ, और इस बार भी सबसे आगे निकलने की चाह में मैंने सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू कर दीं और अपने परिवार से बिछड़ गई। मैं गुम नहीं हुई थी, बस उन सबसे आगे निकल गई थी।
करीब एक घंटे बाद सबसे मेरी मुलाकात हुई। उस समय ज़रूर थोड़ी नाराज़गी झेली, पर अब वही पल हमारी मुस्कान और हंसी की वजह बन गए हैं। मस्ती का सिलसिला वहाँ भी जारी रहा।
इसके बाद हमारा सफर उत्तराखंड की ओर बढ़ा। हरिद्वार में गंगा आरती का अलौकिक दृश्य देखा, फिर ऋषिकेश, देहरादून और आखिर में मसूरी पहुँचे। मसूरी पहुँचकर ऐसा लगा, जैसे हम यहीं के हो गए हैं। वहाँ से वापस आने का मन ही नहीं हो रहा था। लेकिन कहते हैं न, कि फिर से एक नए सफर के लिए घर लौटना भी ज़रूरी होता है।

हर सफर एक कहानी बन जाता है, जो हमारी ज़िन्दगी के अनुभवों में रंग भरता है और हर बार हमें कुछ नया सिखाकर आगे बढ़ने का हौसला देता है।
मसूरी की उन वादियों को छोड़कर आना मुश्किल था, लेकिन दिल में एक नई यात्रा का सपना लेकर हम लौटे थे।


© mysterious girl

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