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सच्चा प्यार
मीरा पहिली बार शहर आई थी,उसके साथ राज था उसका बेटा ,मीरा बहुत स्वाभिमानी थी।शहर मे घर देख रही थी ।बहुत कोशिश के बाद एक घर मिलता है।मालिक भी अच्छा होता है।राज को खाना दे कर सुलाती।अब मीरा के पास बहुत कम पैसे बचे थे।राज को स्कुल मै भी भेजना था।कल से उसे जाॅब ढुढना था।पिछले कुछ बातो को याद करते ही उसकी आखो से पानी आता है।दिन भर के काम से ओ सो जाती है।
अगले दिन ओ पास मै एक स्कुल मै राज को डाल देती है।अब नोकरी तलाश थी।राज को घर मै छोडकर ओ मालकीन को बताती है थोडी देर मै आती हु राज को देख ले।मालकिन के बच्चे नही थे।राज जब से आया तब ओ बहुत खुष थी।मिरा को अब राज की फिक् नही थी।मिरा पढी लीखी थी।बहुत तलाश के बाद उसे बडी कपनी मै नोकरी मीली।
सागर मीरा काम कर रही थी वहा का मॅनेजर
कंपनी का मालिक था।सब लडकीया उस पर मरती थी हॅनसम और आमीर लडके से सब लडकी या प्यार करीती है।पर सागर को किसी और की तलाश थी।जब से उसने मिरा को देखा देखते ही प्यार करने लगा था।और मीरा भी कुछ कम नही थी।बहुत खुबसूरत थी ।लबे बाल गोरे रंग की मेरा को ही भी पसंद करेगा
दिन बिते जा रहे थे अब मीरा और सागर मै भी अच्छी दोस्ती हो गई थी।ऐसे कुछ दिन बित गये।एक दीन सागर मिरा को प्नपोज कर देता है।उसे तो मालुम नही था कि मीरा को एक बच्चा है।पर मीरा के दिल मै सागर के लीए कुछ नही था ओ।सागर से सब कुछ बता देती है।जो आज तक कीसी से नही कहाॅ।
मीरा की शादी आकाश से हो चुकी थी।आकाश काॅलेज मिला था।ओ दोनो एक दुसरेसे बहुत प्यार करते थे।आकाश के घर मै किसी को भी मिरा पसंत नही थी।आकाश बहुत ही आमीर था।आकाश हॅनसम था।हर काम मै हुशार था।उसे बहुत अच्छी नोकरी मिली थी।शादी के बाद घर पर ना लेने पर ओ बाहर घर लेकर रहने लगे।हम दोनो बहुत खुष थे।ऐसे मैदो साल बीत गए। हमे एक बच्चा हुआ।उसका नाम राज है।फीर भी घर वालो ने हमे एक्सेट नही किया।आकाश के घर वाले बहुत आमीर थे।राज मै और आकाश हम तिनो बहुत खुष थे।पर ओ कहते है ना।हर खुषी के बाद गम होता है।वैसे ही एक दिन मैरी सास घर आती है।शादी के बाद ओ पहिली बार आइ थी।आकाश को लेने आइ थी।मैरे ससुर कि तबियत खराब थी।तो ओ आकाश को लेने आइ थी।आकाश हम दोनो को साथ लेने वाला था।पर मेरी सास बोलि की आकाश के पापा अभी भी नाराज है बाद मै लेकर जाएगे।फिर आकाश चार दिन मै आ जाऊगा कहने पर उनके साथ चला जाता है।आकाश के जाने के बाद दो दिन बीत गए पर ओ नही आता है।उसका फोन भी नही लग रहा था।तभी कुछ गुढे घर पर आकर तोडफोड करने लगे।उसने हमे धमकि भी दी शहर छोडकर जाना नही तो राज को मार देगे।ओ लोग आकाश के घर वालो ने भेजे थे।मेरे पास कोही भी रासता नही था।राज के लिए मै शहर छोडकर आ गइ।मै पोलिस के पास भी नही गइ मेरे ससुर कि बहुत पहचान थी।राज और मै यहाॅ आ गए।
पर मै आज भी आकाश से उतना ही प्यार करती हु जितना कल करती थी।ओ एक दिन हमे ढूढ लेगा।सागर सबकुछ सुन लेता है।उसे बहुत बुरा लगता मिरा की बातो का।ओ बोलता है हम दोनो अच्छे दोस्त रहेगे बोलकर चला जाता है।मीरा को भी बुरा लगता है।उसे आकाश कि याद आती है।ओ रो पडती है।उसने अपने बारे मै किसी को कुछ नही बताया था।
ऐसे ही कुछ साल बीत जाते है।सागर अब मीरा से दुर ही रहता है।एक दीन कंपनी मै।बहुत बडी मीटीग थी।बाहर के बीजनेस मॅन भी आने वाले थे।मीरा आज अच्छे से तैयार होकर आई थी।पता नही कुछ अजीब लग रहा था।मिटीग सुरू हो गइ मीरा ने सामने देखा तो आकाश खडा था।ओअपनी कंपनी के बारे बता रहा था।तभी उसकी नजर मीरा के और गइ।ओ कुछ देर एक दूसरे की ओर देखते रहे।फीर ओ होश मै आया मीटीग सुरू की।कूछ देर मै ही मीटिग ख्तम हो गइ।सब चले गये।मीरा और आकाश को छोडकर।एक दुसरे को देख रहे थे।बहुत सवाल थे।जीनके जबाब दोनो को चाहीहे।आकाश गुस्से मै ही मीरा के पास जाकर पुछता है।ओ क्यु चली गइ उसे छोडकर।मीरा सब कूछ बताति है।आकाश को बहुत बुरा लगता है सुनकर।ओ भी कहता है वहाॅ जाते ही उसका फोन गिर जाता है।साथ घर वाले रहते थे।पर चार दिन बाद आकर देखा तुम नही थी।बहुत ढुढा पर मिली नही।घर वाले बोले की कभी नही आयेगी अब दुसरि शादि कर दो।पर मै तुमारे सिवा किसी और के बारे मै सोच भी नही सकता।आकाश को घर वालो पर बहूत गुस्सा आता है।मीरा सबकुछ सुनकर रोने लगती है।आकाश उसे गले लगाता है।उसकी भी ऑखो से पानि आता है।ओ कहते है ना प्यार सच्चा हो तो मिल ही जाता है।भले ही कीतने साल क्यू ना बीते ।मीरा और आकाश कि प्यार की तरह.