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" अब तो समझो भारत की बेटियों "
कृपया समय देकर पूरा पढ़ें 🙏🙏
क्या आप जानते हैं कि भारतीय समाज अपनी बेटियों को लेकर इतना संवेदनशील क्यों रहा है? भारत का इतिहास पढ़िए। हर्षवर्धन के बाद तक, अर्थात सातवीं-आठवीं शताब्दी तक वसन्तोत्सव मनाए जाने के प्रमाण हैं। वसन्तोत्सव! वसन्त के दिनों में एक महीने का उत्सव, जिसमें विवाह योग्य युवक-युवतियाँ अपनी इच्छा से अपना जीवनसाथी चुनती थीं और समाज उसे पूरी प्रतिष्ठा के साथ मान्यता देता था। कितना आश्चर्यजनक है न, कि आज उसी देश में खाप पंचायतें हैं जो प्रेम करने पर मृत्युदण्ड तक देती हैं। क्यों?

इस क्यों का उत्तर भी उसी इतिहास में है।

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