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भगत सिंह सीन 1
23 मार्च सन् 1931 का वह दिन जब हमारे देश के महान सपूत भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव जिन्होंने भारत देश की आजादी के पथ पर चलते हुए अपने प्राणों को मातृ भूमि के लिए समापित किया।
आज हमारे आचार्य सौभाग्य सागर
जे .ई .एस स्कूल के विद्यार्थी इस....... ड्रामा के पहले दृश्य में आपको यह बता रहे हैं की कैसे हमारे वीर सपूत राजगुरु, भगत सिंह ,सुखदेव ने अपनी परवाह न करते हुए देश के लिए शहीदी दी और खुशी खुशी इस देश के लिए कुर्बान हो गए।

सीन पहला
(कर चले कर फिदा जाने मन साथियों ....)

भगत सिंह
राजगुरु
सुखदेव

किरदार

जेलर
भगत सिंह
राजगुरु
सुखदेव
जालाद

जेलर
आज तुमलोग को फांसी दी जा रही
तो बताओ फांसी के पहले तुम लोगो की कोई अंतिम इच्छा है क्या?

भगत सिंह
अरे साहब फांसी नही दी जा रही है
हम लोगो से शहीदी मांगी जा रही है।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव
जी हां हम तीनों की अंतिम इच्छा है कि
हम तीनों आपस में आखिरी बार गले मिलना चाहते है।
जेलर
इनके हाथ खोल दिए जाएं।

(जान प्यारी नही है बतन से हमे ....)

जेलर
अब वस तुम लोगो का समय समाप्त होता है।
फांसी के लिए तैयार हो जाओ
अब इनके हाथ बांध दिए जाएं।

भगत सिंह
यारों आज में बहुत खुश हूं आखिर आज वो दिन आ ही गया जब हम अपने देश की आजादी के लिए , उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने जा रहे है ।

राजगुरु
हां भगत आज का हमारा यह बलिदान हमारे देश के लिए काम आ जाए और देश का हर नागरिक हमारे इस बलिदान को याद रखे और हम तीनों और अपने देश पर गर्व करे यही हमारी कामना है।

सुखदेव
देश की महानता को याद रखे और आजादी पूर्ण जीवन यापन करे
वस इसी कामना के साथ
चलो साथियों देश के लिए शहीद होते है।

(सरफोरशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.....)