"कंटीली झाड़ियां"
अमिता को ये एहसास हो चुका था कि वो अब इस जंगल में पूरी तरह से फंस चुकी है। इतना स्याह और घना जंगल था कि इसका ओर और छोर कुछ भी अमिता को दिखाई नहीं दे रहा था।
आख़िर वो करें भी तो क्या करें। कितना कहा था...
आख़िर वो करें भी तो क्या करें। कितना कहा था...