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लिफ्ट..
लिफ्ट
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रात के करीब दो बजे कड़कड़ाती ठंड में उस घने कोहरे की रात सुनसान सड़क के किनारे फटा पुराना सा कंबल ओढ़े कोई नंगे पाँव चला जा रहा था...जितनी गाड़ियां वहाँ से निकली सब से लिफ्ट मांगने के लिये कंबल से दो हाथ निकलते पर कौन अपनी गाड़ी रोक देता उस सुनसान सड़क पर.. तभी एक कार कुछ दूर जाकर अचानक रुक गई..शायद कार में वाटर लेबल खत्म हो गया था... कार बार बार स्टार्ट करने की कोशिश पर कार स्टार्ट नहीं हो रही थी. साइड मिरर पर ड्राइवर को कंबल ओढ़ा व्यक्ति पास आता दिखाई दे रहा था.. सुनसान जगह अंजान रास्ते पर ये कौन चला आ रहा है.. कार पर इक्कीस वर्षीय लड़की प्रिया अकेली बैठी डर के मारे पसीने से लथपथ हो गई कार के चारों गेट अंदर से लॉक कर लिये... तभी एक नॉक की आवाज सुनकर प्रिया की चीख निकल गई..ड्राइवर साइड वही कंबल ओढ़ा व्यक्ति बार बार नॉक कर रहा था..प्रिया के कोई जबाब ना पाकर वो अजनबी जोर जोर से कार पर हाथ पटकने लगा मानो अब कार को तोड़ मरोड़ डालेगा.
प्रिया समझ गई कुछ अनहोनी होने वाली है.. धीरे से काँच खोलकर देखा तो आवाज सुनाई दी.. दरवाजा खोलिये प्लीज... इन शब्दों ने प्रिया को थोड़ा संबल दिया.. ख़ुद को मजबूत कर प्रिया ने कहा-क्यूँ.. मुझे नहीं खोलना..
अगर आपने डोर नहीं खोला तो मैं तोड़ दूंगा. कितनी देर से आवाज दे रहा हूँ....
इतना कहते ही जोरदार हाथ उसने कार पर दे मारा.....