...

4 views

◆◆Parent is a duty"★★
आज मे आपके सामने एक कहानी लेकर आ रहा हूँ.जो मेरे जीवन से भी और के जीवन से भी संबंध रखती है। तो दोस्तों सबसे पहले मेरा आप .सभी को प्यार भरा नमस्कार।. एक छोटा सा गांव था जिसमें एक लड़का रहता था लड़का बहुत अच्छा संस्कारी एवं दयालु स्वभाव का था एक छोटा सा परिवार था जो अपना जीवन यापन खुशहाली से कर रहा था पिताजी किसान थे और मां की दिमागी हालात खराब थीं. इन सब परेशानी के चलते हुए लड़के के घर वालों ने उसकी शादी करने का फैसला किया लड़का भी ठीक-ठाक नौकरी करता था लड़के ने भी अपने घर वालों का समर्थन किया तोअब क्या था शादी की तैयारी शुरू की गई और पहला निमंत्रण लड़की वालों को भेजा गया घर पर मेहमान आए उन्होंने उनकी खूब सेवा की बात फिक्स हो गई अब लड़की वालों ने लड़को.वालों को आने का निमंत्रण दिया.और लडके वाले लडकी के धर पहुंच. जाते है.और. अच्छा स्वागत किया.जाता हैं बहुत.सारी बाते होती है #@दोस्तो वैसे तो यह.कहानी आप को बकवास लग रही होगी लेकिन. इस कहानी.मे अब जो होगा शायद वो.आप के.काम आये। अब वह घड़ी आ जाती है जिसका लड़का और लड़की दोनों को इंतजार होता है लड़के और लड़की को बातचीत करने के लिए का स्थान पर भेज दिया जाता है अब लड़की आती है और आपस में बातचीत शुरू होती है लड़की अपना नाम निशा बताती है अपनी शिक्षा एम ए.बताती है और अपने को एक अध्यापिका के रूप में कार्यरत.बताती है और कहती है मैं यह नहीं करूंगी मैं वह नहीं करूंगी चलो आखिरकार लड़का हर एक शर्त.मान लेता है. अब वह उसकी मां के बारे में पूछती है लड़का बिना झूठ बोले सब कुछ सच-सच बता देता है जब लड़की है सुनती है तो कहते हैं कि मैं आपकी मां को नहीं झेल.सकती.हूं. यह सुनकर लड़की को बहुत दुख होता है ओर.लड़की को स्पष्ट जवाब देता.हैं कि अगर आपकी मां की हालत भी कल मेरी मां की हालत की तरह हो जाए क्या आप अपनी मां को छोड़ देंगे लड़की उत्तर देती है नहीं लड़का मुस्कुराता हुआ कहता है जिस तरह तुम अपनी मां को नहीं छोड़ सकती उसी तरह मैं भी अपनी मां को नहीं छोड़ सकता लड़की का जवाब सुनकर लड़की दंग रह जाती है और उस लड़कियों को नसीहत देता है आप एक अध्यापिका होकर ऐसी बात करती है जबकि एक अध्यापिका का पहला गुण.होता. कि वह अपने छात्रों को अपने माता-पिता का सम्मान करना सिखाए यह कहकर लड़का उसको अपना जीवन साथी बनाने से इंकार कर देता है। दोस्तों में यह जानना चाहूंगा आपसे कि वह लड़का कहां पर गलत था उच्च शिक्षा पा लेने.से.कुछ.नहीं होता संस्कार भी जरूरी होते हैं जो आजकल बहुत कम देखने को मिल.रहे आज हम थोड़ी सी उच्च शिक्षा एवं अच्छे-अच्छे कॉलेज में पढ़ कर अपने आप को यह समझ बैठते हैं कि शायद हम से अच्छा कोई नहीं लेकिन हम यह भूल जाते हैं हम जो सीना ताने हुए हैं दुनिया के सामने वह सीना खुद की वजह से नहीं बल्कि हो उसके हकदार हमारे माता-पिता है माता-पिता चाहे कैसे भी हो वास्तव में मां-बाप की जगह कोई नहीं ले सकता तो दोस्तों यह थी मेरी छोटी सी कहानी उम्मीद करता हूं आपको पसंद आएगी।।
,ashish Saini.