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राम
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।हर खबर पर पक्ष विपक्ष की तरह बहस हो रही थी।तभी बनबारी लाल गंभीर मुद्रा में फिर से बोले।
-अरे ये देखो ,ये कौन से शंकराचार्य हैं जो कह रहे हैं अधूरे मंदिर में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा करने से बहुत अशुभ होगा।
-भई कैसा अधूरा मंदिर,,,जरा विस्तार से पढ़ो क्या बोल रहे ये बाबा।,"नरेश जी थोड़ा उत्साहित होते हुए बोले"।
-ये कह रहे मंदिर तो प्रभु का शरीर होता और मूर्ति उनकी आत्मा,,तो अधूरे शरीर में कैसे आत्मा प्रवेश करेगी।
-अरे बात तो कुछ कुछ सही लग रही इनकी,"चंदू ने जिज्ञासा दिखाते हुए कहा"।
-सही क्या खाक लग रही।हमारे प्रभु राम तो अभी जो टेंट में निवास कर रहे उससे तो अच्छा है न और जो थोड़ा बहुत काम बचा है वो होता रहेगा बाद में,"केशव जी तैश में आकर बोले"।
-तो जब इतना इंतजार किया ही था तो थोड़ा और कर लेते ।क्या जल्दी थी अधूरे ही मंदिर में हमारे प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा की?"दूसरी तरफ से अमित जी बोले थे"।
-अरे कैसे कर लेते इंतजार,,,फिर वोट का क्या होता।सब काम तो उसी के लिए हो रहा,"अमित के पास बैठे सिन्हा जी बोल पड़े थे"।
- चुप करो तुम सब लोग,,,"इतनी देर से चुप बैठे राघव जी अचानक बोल उठे"।
-क्या हो गया है तुम लोगों को,,,पता भी है किसको लेकर बहस कर रहे हो,,,वो राम, जो हमारे जन्म से लेकर हमारी मृत्यु तक, हमारे हर कर्म में शामिल हैं।उनके लिए कह रहे की टेंट से निकाल के मंदिर दे रहे हैं,,,अरे हम कौन होते उनको कुछ देने वाले,,वो तो ,,,,वो तो हमें दे रहे हैं दिन रात।उनको नहीं फर्क पड़ता, वो कहां रह रहे।उनको इससे भी फ़र्क नहीं पड़ता की मंदिर अधूरा है या पूरा।,"कहते कहते राघव जी की आंखों से आंसू बह निकले"।
वहां पूरी तरह से सन्नाटा छा गया था।जो राघव अक्सर चुप रहते थे ,आज अचानक बोल उठे थे।अपनी आंखों को पौंछते हुए वो फिर बोले।
-मेरी किसी बात से किसी की भावना आहत हुई हो तो क्षमा चाहता हूं।लेकिन कृपा करके प्रभु राम को अपनी बहस का मुद्दा मत बनाइए।बस इतना जान लो उनकी इच्छा के बिना पत्ता भी हिल नहीं सकता। मंदिर में वो जायेंगे या नहीं ये उनकी ही इच्छा होगी।हमारा इस तरह झगड़ना फिजूल है।अच्छा चलता हूं,"कहते हुए राघव उठ कर अपने घर की ओर चल दिए।