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मेरा समाज
वाकई हम यह कह सकते हैं कि हमारा समाज अभी अंधा है! क्योंकि समाज अभी तक इन भूत- प्रेत, देैविक आत्माओं और अनेक प्रकार के पाखंड के चलते उसी अंधेरे के गड्ढे में लिप्त है! जहां से उसे अब तक निकल जाना चाहिए था!
कई बार दलित समाज के लिए यह प्रश्न उठता है ! अब तक अन्य सभी समाजों के लोग समझदार हो चुके हैं ,जागृत हो चुके हैं किंतु यह दलित एससी वर्ग अभी तक इन्हीं पाखंडों और इन अनेक प्रकार के जंजालों में ही जकड़ कर रह गया है! कई बार कहा जाता है कि दलित अब जागरूक हो गए, पढ़ लिख गए हैं, शिक्षित हो गए हैं किंतु मुझे ऐसा क्यों लग रहा है? कि लोग अभी भी जागरूक नहीं है! अपितु अशिक्षित ही है! क्योंकि यदि दलित समाज अब तक जागरूक हुआ होता तो इन अनेक देवी देवताओं,प्रेतों आदि के चक्कर में नहीं पड़ा होता! कई बार हमारे आसपास यह देखने को मिला है !कि जब किसी व्यक्ति को न कोई बीमारी हो, न कोई परेशानी हो उसके बावजूद भी उसे तांत्रिक बाबा या घुड़ला आदि के पास ले जाते हैं कि इसका इलाज हो जाए ,वहां जाकर पूछते हैं -बाबा इसके कोई भूत प्रेत या कोई चुड़ैल या देवता का साया तो नहीं है!कई बार ऐसा भी देखा गया है कुछ तांत्रिक अपने इस अंधविश्वास के तंत्र -मंत्रों के चलते कई लोगों की जान भी ले चुके हैं !इतना ही नहीं,वे कई बार अनेक तरह से शारीरिक प्रताड़ना भी दे चुके है! ऐसे हैं ,हमारे लोग हमारा समाज वास्तविकता में समाज देवी देवताओं से जब तक बाहर नहीं निकल जाता तब तक आगे नहीं बढ़ सकता! आज तक देश में बड़े-बड़े विद्वान महापुरुष महा ज्ञानी हुए हैं जिनमें भगवान बुद्ध जिन्होंने इस संसार को इस समाज को एक अद्भुत ज्ञान दिया किंतु तब भी समाज नहीं समझा उनके अतिरिक्त कबीर दास जैसे व्यक्ति इन लोगों को समझाते समझाते ही मर गए किंतु यह समाज यह लोग तब भी नहीं समझे ! अभी तक ये उन जंजीरों में ही जकड़े हुए हैं !आखिर यह कब समझेंगे ?कब जागरूक होंगे? हां, मैं यह नहीं कह रहा कि ईश्वर में आस्था मत रखो ! "आस्था रखिए ,किंतु हृदय से, ना कि अंधविश्वास से और यही अंधविश्वास व्यक्ति को बिल्कुल अंधा कर देता है और यही हालत मेरे समाज की है इस दलित समाज की है जो अभी भी उन चीजों पर विश्वास करता है ! "

© jitendra kumar sarkar