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किसानों की समस्या और रविश
किसान की मूल समस्याओं पर आज का primetime हमारे यानी रवीश के साथ

सवाल है कि हम अपने किसानों को कितना समझते हैं या यूं कहें कितना समझने का प्रयास भी करते हैं ? क्या किसान की समस्या वही है जो अम्बानी अडानी के TV चैनल आप को दिखाते हैं ? क्या उनकी समस्या सिर्फ उनके फसल की MSP तक सीमित है ?
जब से पंजाब और देश मे किसान मोदी के अत्याचारों के विरुद्ध धरने पर बैठी है ये BJP वाले लगे हैं उनका दुष्प्रचार करने में । अब तो उनका कृषि मंत्री TV पर आ कर कैमरे के सामने झूठ फैलाने तक से नही घबराते। नितिन गडकरी, पीयूष गोयल और न जाने कौन कौन हर TV चैनल पर आ कर यह कहते हैं कि हम किसानों की हर समस्या का समाधान करने को तैयार हैं लेकिन फिर चुपके से कहते हैं कि जो इस 3 नए कृषि कानून में हो, उस मे सुधार करेंगे बस ये किसान हड़ताल रोकें। सवाल है कि किसान अपनी कितनी मांग आप को बताए ? एक बार मां भी लें की आप MSP देने को तैयार भी हो गए तो क्या किसान की सारी समस्याओं का समाधान हो गया ? यदि नही तो जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नही होता वो अपने हीं देश मे रोड फैक्टरी रोक कर धरना देने में लगे हैं तो गलत क्या है ये देश सिर्फ आप का या आप के पार्टी का तो नही उनका भी है ? अब इस मे कोई अम्बानी का एजेंट कहेगा कि ठीक है रविश जी आप हीं बात दो आप तो सर्वज्ञ पत्रकार हो कि आखिर इन किसानों को समस्या क्या सब है ताकि सरकार को उन समस्याओं के निदान हेतु कुछ काम करने का अवसर तो मीले ? तो मेरा उन अम्बानी एजेंटों को जबाब है कि किसान तो इतने भोले होते हैं कि उन्हें उनकी आवस्यकता का सही अंदाजा भी नही । ऐसे हीं उनके एक जरूरत कि ओर आप दर्शको का ध्यान आज खीचना चाहूंगा । पवन सिंह नाम के एक नामचीन भोजपुरी गायक कहते हैं "गन्ना बेच के चुम्मा लेहब हम बैसाख में देबू चाहे।एक लाख में "ये देखिये किसानों को अपना गन्ना बेच कर एक लाख रुपये तक खर्च कर एक चुम्मा खरीदना परता है। क्या सरकार की ये नैतिक जिम्मेदारी नही की जैसे खाद , बीज , बिजली, पानी आदि पर सब्सिडी दी जाती है वैसे हैं चुम्मा पर भी सब्सिडी दी जाए ताकि किसान इस अर्थिक बोझ से मुक्त हो ईमानदारी से अपनी खेती करे । मेरी यह बात सुन कोई संघी फिर से टपक पड़ेगा अपनी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का ज्ञान देने की रविश जी खाद बिज तो खेती के लिए आवश्यक है इसी लिए सरकार उस पर सब्सिडी देती है चुम्मा का इस से क्या संबंध तो मैं उन संघी ट्रोल को बता दूं कि खेती के लिए सबसे आवश्यक है किसान का होना और जब एक किसान इतना परेशान है कि वो आपने 6 महीने की खेती की कमाई लूटा कर भी एक चुम्मा चाहता है तो आप सोचो की वो कितना मानसिक रूप से परेशान होगा। क्या हम सब की संवेदनशीलता शून्य हो गयी है या हम अपने राजनीतिक गुलामी और मोदी भक्ति में इस मानवीय मूल्यों को भूल गए हैं ? अच्छा है मैं मोदी भक्त नही हूँ नही तो किसान की इतनी बड़ी समस्या मुझे भी नही दिखती मेरी भी संवेदना मार चुकी होती। तो अब अंत मे देश के सभी लोगो और खास कर किसान बंधुओ से की आप दिल्ली को तब तक बंधक बनाए रहो जबतक की देश के हर कोने से किसान के हर तफह की समस्याओं का निबटारा करने का विधेयक संसद भवन से पास न हो जाये। हाँ उस मे 1 साल भी लग सकते हैं क्योंकि हमारे किसान तो भोले हैं उन्हें इस चुम्मा की तरह जैसे जैसे अपनी समस्याएं याद आती जाएंगी वो सरकार को बताते जायेगे और सरकार उस का निदान कर दे तो बिचार किया जाएगा कि अगले आंदोलन कब तक चलने हैं। हमे अपने अन्नदाता के लिय इतना तो करना हीं चाहिए हां संघियों को सायद ये बात हजम नही होगी क्योंकि वो सामंती विचारधारा के लोग हैं । खैर अंत मे किसान की इस नई मांग को दुहराते हैं
गन्ना बेच के चुम्मा लेने की जरूरत नही आप को सरकार से सबसिडी दिलाने तक हम सब आप के साथ संघर्ष में डटे रहेंगे। प्रणब रॉय के स्टूडियो से आप का।रवीश 🤓🤓🤓🤓
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© eternal voice नाद ब्रह्म