प्यारी वैदेही (भाग-3)
#highlight
प्यारी वैदेही,
कल शाम तुम्हारे घर के पास वाली संतोष काका की टपरी पर चाय के साथ तुम्हारे कमरे की टूटी खिड़की से तुम्हारी झलक का आनन्द ले रहा था, एक पल को मुझे अहसास हुआ जैसे तुम्हारी नज़रें मुझे ही देख रही हो,
फिर तुम अम्मा की पुकार पर पैर पटकती वहॉं से चली गई, हाये उस वक़्त जरा सा गुस्सा तो मुझे भी अम्मा पर आ गया । पर क्या सच...
प्यारी वैदेही,
कल शाम तुम्हारे घर के पास वाली संतोष काका की टपरी पर चाय के साथ तुम्हारे कमरे की टूटी खिड़की से तुम्हारी झलक का आनन्द ले रहा था, एक पल को मुझे अहसास हुआ जैसे तुम्हारी नज़रें मुझे ही देख रही हो,
फिर तुम अम्मा की पुकार पर पैर पटकती वहॉं से चली गई, हाये उस वक़्त जरा सा गुस्सा तो मुझे भी अम्मा पर आ गया । पर क्या सच...