...

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बेटी हूं।
बेटी हूं...
मुझे पढ़ने की इजाजत मिली थी...
ये काफी था...
बाहर जाना और नौकरी करना, ये मेरा सपना था। समझ रहे हो ना "सपना ". और सपने कभी हकीकत नहीं बनते।
मुझे ज्यादा सपने देखने का भी हक नहीं है।...