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दरस बिन दूखन लागे नैन
दरस बिन दूखन लागे नैन
- Rajeev
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प्रेमिका यानि सौंदर्य से परिपूर्ण नवयुवती। जिसका चेहरा चांद जैसा हो , चेहरे पे लावण्य हो , रंग गोरा हो, जिसकी आंखें झील जैसी हो ,जिसमें हिरणी सी सोख चंचलता हो, स्वभाव से शर्मीली हो
प्राचीन काल से आधुनिक तक के लगभग श्रृंगार रस के सारे कवियों ने ऐसा ही मनोवृति प्रेमिका को लेकर लोगों के मन में अपने गीत- कविताओं से खींचा है।
कल्पित साहित्य से लेकर ऐतिहासिक प्रेम कहानियां सुंदरता के आधार बुनियाद पे ही बुनी गई ।
पौराणिक प्रेम कहानियों में अकसर ये प्रेम प्रसंग मिलता है की किसी नदी के तट पे असीम सुंदरता समेटे मुंख वाली कोई स्त्री नहा रही है और उधर से शिकार खेलने के उद्देश्य से भटकता कोई राजकुमार उसे देखता है और उसकी सौंदर्य के वसीभूत होकर उसके प्रेम में तड़प उठता है ,उसके पास जाकर उस स्त्री से अपना परिचय देते हुए उससे प्रेम निवेदन करता है या किसी अनिष्ट से उसे बचाकर उस सुन्दर स्त्री का
स्वामित्व ग्रहण कर लेता है। इतिहास में दर्ज सैकड़ो लड़ाइयां सुन्दर स्त्रियों के लिए लड़ी गई। धन यश और सुन्दर स्त्री को प्रेम या युद्ध वश हासिल करना हमारे इतिहास का आधार रहा।
कवियों के सुंदरता की ओर से लिखे गीतों को सुन सुनकर और परी कथाओं को पढ़ पढ़ जहां सुन्दर नैन नक्श वाली युवतियां सैकड़ों इर्द – गिर्द के लड़को के प्रेम निवेदन को ठुकराकर , इस सपने में खोई रहती है की काले लिबास में लिपटा एक राजकुमार सात समंदर पार से सफ़ेद घोड़ों पे सवार होकर आएगा और उसे अपना जीवन संगिनी बनाकर वापस अपनी जादुई दुनिया में ले जायेगा । वहीं चेहरे से धूमिल ,सुंदरता में पिछड़ी लड़कियां दर्पण में झांकती हुई उदासी में डूबकर अपना आत्मविश्वास खोती जा रही थी।
ये कहानी है ऐसी ही साधारण सी शक्ल की या आजकल के रूप के दीवाने के लहजे में बोलें तो मामूली सी चेहरे वाली एक अति संवेदनशील जिज्ञासु लड़की प्रिया की ।
फिराक साहब का एक शेर है
“ रात भी नींद भी कहानी भी
हाए क्या चीज़ है जवानी भी “
किशोरावस्था पार करके जवानी के दहलीज पे पहला कदम रखते ही हम शारीरिक मानसिक भावनात्मक रूप से ख़ुद में अथाह परिवर्तन पाते हैं ।...