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महाशक्ति द्वारा कन्या की उन्मुक्तता का हल कालचक्र विभाजन द्वारा बताया गया है।।
एक स्त्री स्तुति में एक पाठ ऐसा भी है जो कि वैसया द्वारा संकल्प से संकलित हुआ आज हम तुम्हें उसके बारे में बताने जा रहे हैं।। स्त्री के कालचक्र कुछ हिस्सों में विभाजित जिनसे कलियुग की शुरुआत हुई और इसका अंत ऐसा ही होगा कि जब सत्री का चक्र पूर्ण होगा तब धीरे एक एक काल अपने आप पूर्ण होकर कलियुग लेआएगा।।
गाथा में शामिल शब्द "काल" क्या तात्पर्य है।।
प्रारंभकाल, स्थापितकाल, विराहकाल, विनाषकाल,विचारकाल, पूर्णकाल, परयकाल।।
कालचक्र विभाजन द्वारा एक गाथा में अहम भूमिका निभाई गई है चक्र द्वारा।।

स्त्रीकालविगृह -यह श्रोत यह बतता है कि क्या स्त्री भोग सही या नहीं और है तो क्यों और नहीं तो क्यों और स्त्री किन किन परिस्थितियों में साथ देता क्या स्त्री भोग लगाना पुन्य है।।
हर काल अपना एक महत्व है और हर काल में भोग अलग-अलग हैं।।
मगर कालनाथ की दो दिवसीय भुजाए एक कन्या और दूसरी वैशया का पद प्राप्त करती हैं।।
#सत्रीभोग अवेलना ।।
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