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तुम्हारा यूँ नज़दीक आना
बना करके झूठा बहाना
समझ आता मेरे नहीं कुछ
फ़िदा मेरा तुम पे हो जाना
अदा आती है तुमको सारी
तुम्हें आता क़ायल बनाना
चला जादू कैसे तेरा
मुझे राज़ अब तो बताना
किया ज़ख्मी दिल को है मेरे
तेरा तीर ऐसे चलाना
न जाओ कहीं दूर मुझसे
जिया मेरा तू मत जलाना
न उल्फत को अब खेल बूझों
लगी आग फिर मत बुझाना
गले मिल लो अपना बना लो
अरे छोड़ो अब तो सताना
मना खुशियाँ दो पल का जीवन
चलो गाये मिल के तराना
जितेन्द्र नाथ श्रीवास्तव "जीत "