2 Reads
" इक रोज़ तुझसे कहीं ना कहीं वाकिफ यार हो ही जाऊंगा ,
तु मुहब्बत की कुछ गुंजाइश तब्बजो कर मैं तेरा साकी हो ही जाऊंगा ,
फिर फ़िरदौस जो हो सो हो ऐसे में कहीं ना कहीं ,
मैं तेरा मुन्तजिर यार दीदारे-ए-ख़्वाब हो जाऊंगा . "
--- रबिन्द्र राम
#वाकिफ #मुहब्बत#गुंजाइश #तब्बजो #साकी #फ़िरदौस #मुन्तजिर #दीदारे-ए-ख़्वाब