...

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बेवजह बहम हो जाता है इंसान को,
ईंटो से बने घर को घर समझ लेता हैं,
चाहें फिर वो अपना हों या फिर किराए का,
वो सुना तो होगा आपने,
ज़िंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा,
फिर चाहें वो अपना जिस्म ही क्यूं ना हो...!!!
Mr India

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