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एक लेखक के लिए हर असंभव विषय भी संभव है...
हर एक लेखक अपनी लेखनी में कहीं ना कहीं अपने आपको दर्शाता है...
एक लेखक लिखता है या लिखती है...
फूलों को कलियों को..
तारों को गगन को...
विश्व के अंनत को...
कहीं ना कहीं अपने जीवन में किसी से कह नहीं पाए
या कोई मनमुटाव हो जाए....
वो हर एक बात को एक लेखक ही अपनी सरल स्वाभाव से लिखता है...
एक लेखक लिखता है..
सूरज को...
सूरज किरणों से सुनहरी सुबह को...
नदी को...
नव जैसे बना हुआ अपने जीवन को....
कहीं ना कहीं छुपा हुए अपने अरमानों को...
किसी से कह नहीं सके
हर एक अपने बातों को....
एक लेखक लिखता है...
सुंदरता को...
अबके जीवन के शैली को...
हर एक ऋतू को...
हर ऋतु में बनी हुई हर एक ख्वाहिश को....
एक लेखक कहीं ना कहीं...
अपने लेखनी में अपने आपको जरूर दर्शाता होगा.....
इसलिए लेखक को हर एक असंभव विषय भी संभव है....
एक लेखक को कहीं ना कहीं...
हर रोज अपने लेखनी में...
अपने आपसे मिलने का जरूर मौखा मिलता होगा.....
एक लेखक कहीं ना कहीं...
अपने आपको जरूर दर्शाता होगा...........
*अपने लेखनी से या लेखनी के अंदाज़ से
दूसरे को निचा दिखने का जरियां मत बनाएं...
ये अनंत सागर है...
इस लेखनी को माँ सरस्वती के चरणों के स्पर्श है...
इसलिए हर एक सच्चा लेखक आज भी
इस लेखनी से अपने जीवन को जी रहा है...
*writing is pure...because
your writing is yours behavior and
your inner beauty....
so don't use your writing demotivates
you and other's....
use your words and writing motivates you and others too......
because your writing is you.....