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किंतु किंचित मात्र भी मेरे भाव व मेरी दृष्टि में बदलाव नहीं आया
( और क्या हैं ना मैं तराज़ू में तोल कर प्यार नहीं करती, कितने margin पे किसको कितना respect देना चाहिए कितना प्यार देना चाहिए या नहीं...
मैं तराज़ू में तोल मोल कर प्यार नहीं करती,
मैं महज़ इतना जानती हूँ जो करो पूरी शिद्दत से करो पूर्ण समर्पण से करो ...मैं मन अथवा बुद्धि की आँखों से प्यार नहीं करती जो बार बार fluctuate होता रहे,
मैं जिसे देखती हूँ अपने हृदय और आत्मा की आँखों से देखती हूँ और और हृदय को मोल-भाव और तराज़ू में तोल मोल नहीं करना आता!
प्रेम करो तो पुरा करो वरना मत करो
सम्मान करो किसी का तो पुरा करो, वरना मत करो।
ये नहीं के जब चाहा सिर पे बिठा लिया
और जब मन किया नज़रों से भी गिरा दिया 😊।
किंतु इसमें सामने वाले का कुछ नहीं गया..
तुम अपने कर्म create कर रहे हो..
और इसी एक एक करम के पायदान पर तुम अपना जीवन निर्मित करते हो
जो उपर को जाती हैं या नीचे को इसके निर्णयकर्ता तुम हों निर्देशक तुम हों।)

5.29pm
23.6.2024