...

20 Reads

वो पुराने दिन....
वो सुहाने दिन आशिक़ाने दिन
ओस की नमी में भीगे वो पुराने दिन दिन गुज़र गए हम किधर गए....
पीछे मुड़ के देखा पाया सब ठहर गए
अकेले हैं खड़े क़दम नहीं बढ़े.....
चल पड़ेंगे जब भी कोई राह चल पड़े
जाएँगे कहाँ है कुछ पता नहीं
कह रहे हैं वो कि उनकी है ख़ता नहीं
वो सुहाने दिन
आशिक़ाने दिन
ओस की नमी में भीगे
वो पुराने दिन…