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अर्थात- मानव दीपक का स्मरण तभी करता है जब अंधकार हो जाए,उसी प्रकार मनुष्य दूसरे मनुष्य का स्मरण तभी करता है जब जीवन में दुख आए,इसलिए हमें किसी को स्वार्थी नहीं मानना चाहिए उसे दुखी मानकर उसकी सहायता करनी चाहिए,उसके प्रती क्रोध की नहीं परोपकार की भावना होनी चाहिए।