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// #हम_तुम //
रात्रि चंद्र चाँदनी हम साया,
अवनि-अंबर प्रेम की छाया;
मलय सी महक रही काया,
क्यूं सोचू क्या खोया- पाया।
तुम आस मेरे तुम पास मेरे,
चितवन स्वप्न सजग - सवेरे;
हरपल ह्रदय भाव हुए गहरे,
नैन खुले भोर पहर गेसू घेरे।
नयन चले चलचित्र सुनहरे,
हम तेरे और तुम हुए मेरे;
तुम खास मेरे तुम श्वास मेरे,
नित साथ मेरे जब हुए सवेरे।
जीवन कालचक्र अविरल फेरे,
हर पहर रात प्रेमरंग हुए गहरे;
जीवन प्रसंग वलय चक्र घनेरे;
हम- तुम गगन के चंद्र चकोरे।