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जल रहा था गुलिस्ताँ फ़िर भी गुलाब हम लाये थे,
अमन की चाह में मुठ्ठीयों में थोड़ा इंकलाब हम लाये थे.
@Ajay
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जल रहा था गुलिस्ताँ फ़िर भी गुलाब हम लाये थे,
अमन की चाह में मुठ्ठीयों में थोड़ा इंकलाब हम लाये थे.
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