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तुमसे बहुत फ़रमाई हमने इश्क़,
सुकून से ताउम्र सोने की रज़ा दे दो,
बहुत कर ली तुमसे शिकायते अब सब
भूल कर हमें आख़री अज़ा दे दो !
गुनहगार हूँ तुम्हारी बिना समझे ही दिललगी
की दर्द के साथ जीने की सज़ा दे दो!
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