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तू अगर धूप सी चमकती है, तो मैं छांव सा ढल जाता हूँ,
तेरी गर्मी की मीठी छुअन से, मैं पिघल सा जाता हूँ
तू किसी फूल सी महकती है, मैं तितली सा मंडराता हूँ,
तेरी खुशबू से बंधा हुआ, मैं बार-बार लौट आता हूँ
तू अगर शाम की लाली है, मैं सूरज सा ढल जाता हूँ,
तेरे रंगों की महफिल में, मैं चुपके से घुल जाता हूँ
तू कोई गीत की धुन है, मैं सुरों में थिरक जाता हूँ,
तेरे संगीत के जादू से, मैं पूर्णतया खो सा जाता हूँ
तेरे कदमों की आहट सुन, मैं दिल से मुस्कुराता हूँ,
तू चाहे दूर हो कितनी, हर हाल मैं तुझसे जुड़ जाता हूँ
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