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क्या हार और जीत, जग बसा बस प्रीत; जब पास मन-मीत, मनवा मनभर जीत। ओढ़ स्नेह - चादर, पग -पग प्रेम- रीत; ह्रदय गूंजे प्रेम गीत, चैत्र सावन तस्दीक।
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