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नहीं गंवारा मुझको कोई रोके अब,
मैंने नए सफर की अब शुरुवात कर ली है,
मैं चुन चुका हूं मौन की राह अब अपनी,
मैने परवाह और लिहाज से अब तौबा कर ली है,

न कोई बंधन न कोई डोर रखी है,
मैंने काट सब जंजीरे अब उड़ान भर ली है,
ये मोह के बंधन अब मुझे रोक न पाएं,
मैंने दिल के दरवाजों की कुंडी बंद कर ली है,

भटक भटक कर थक गए थे जो कदम मेरे कभी,
मैने उन कदमों की मरहम पट्टी कर ली है,
तिनका तिनका जोड़ लिया है अपने अंतर्मन का,
अब मन के हर भटकाव से मैंने बगावत कर ली है,

राह कठिन हो जितनी मुझको रुकना नही है अब,
मैने अन्तर्मन की राह चुन ली है
ठोकर खा गिरने के बाद मैंने अब ये राह पकड़ ली है,
मुझे नहीं सुनना कि कोई कहता क्या है अब,
मैने लोगों की बाते सुननी अब बंद कर दी हैं..!
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