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विवाहितों के लिए प्रेम लिखना जितना सरल है,
अविवाहितों के लिए उतना ही कठिन है...
विवाहितों से कोई सवाल नहीं करता..
अविवाहितों पर प्रश्नों की बौछार होने लगती है..
भले ही हमने उन्हीं को लिखा हो कविता में...
लेकिन उनकी पहली मुस्कुराहट इसलिए होती है
कि कोई तो है जिसकी आशिकी ने हमें शायर बना दिया..
हमारी एक - एक शायरी पर जासूसी की जाती है..
शादीशुदा लोगों की शायरी ऐहतियात,इज्जत से पढ़ी जाती है..
विवाहितों से कोई नहीं पूछता उनकी कविता के नायक/नायिका के बारे में...
हमारी कविताओं के नायक/नायिका ढूंढे जाने लगते हैं जैसे कोई गुप्त रहस्य..
आकांक्षा मगन “सरस्वती”