...

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हा मैं हारा हुआ सा इंसान हूं।
जीत कर मुझसे भला तुम्हें मिलेगा क्या।
मुझसे रहो दूर, मैं घनी रात हूं जो ढलती नहीं।
कोई फूल रात में खिलगा क्या!