...

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चराग़ों से सजी एक शाम फिर एक बार-
इंतिज़ार-ए-मोहब्बत के नाम फिर एक बार-
चढ़ा जो फ़ितूर नया इश्क़ का,
हो गये हम उसके ग़ुलाम फिर एक बार-
ख़्वाहिशों की आग़ोश में गिरफ़्त हुए हम
लागा चुनरी में दाग़, फिर एक बार-
#Shayari #pyar #Love&love