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आफ़ताब उम्मीदों का, हर पहर चढ़ता रहेगा,
कारवाँ नहीं रुकेगा, दिन-ब-दिन बढ़ता रहेगा,
नहीं डरेगा बशर वो, किसी बुरी शय से कभी,
क्रांति का सबब जो, साथ हमारे पढ़ता रहेगा।
#मानव_दास_मद✍️