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अपने घर को मैंने ,ख्वाबों से सजाया है
एक एक ख्वाब बुनकर ,पौधों में लगाया है
एक दिन, यह ख्वाब पल कर बड़े होंगे
एक ही अरमान को, दिल में बसाया है
पल-पल , निहारूँगी इनको पलते हुए
सभी ख्वाबों को, प्यार के पलने में झुलाया है
रूहत बसती है ,इन ख्वाबों में मेरी
अपनी रूह से मिलकर, संसार बसाया है
अरमानों की सेज़ पर, पलते हैं ख्वाब मेरे
इस सेज़ को मैंने ,दुल्हन की तरह सजाया है
गर तौफीक दी खुदा ने ,ख्वाब पूरे करने की
एक एक,ख्वाब पूरा करूंगी, जो दिल में बसाया है!
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