7 Reads
फ्रिज वाली श्रद्धा बोल रही हूँ।
हैलो...............कौन?
हैलो............पापा!
पापा, फ्रिज वाली श्रद्धा मै बोल रही हूँ
लफ़्ज़ है खामोश फिर भी बोल रही हूँ
आप समझाए पर मैने ना मानी
चार दिन के प्यार मे हुई थी दिवानी
घरबार सब कुछ छोड़ चुकी थी
रिश्ते-नाते सबसे तोड़ चुकी थी
समझने लगी थी मै खुद को सयानी
इसलिए सबसे मुख मोड़ चुकी थी
अब विचारों की दुनिया में डोल रही हूँ
पापा, फ्रिज वाली श्रद्धा मै बोल रही हूँ
आप मुझे कहते थे हूँ मै कितनी भोली
सोचते थे आँगन से उठेगी डोली
जिद पर अड़ी थी सो हुई मै पराई
किस्मत पर मैने खुद ही आरी चलाई
मै आपकी ही बेटी अनमोल रही हूँ
पापा, फ्रिज वाली श्रद्धा मै बोल रही हूँ
संग मैने उसके बस कर ली थी यारी
मैने वफा की, उसने की गद्दारी
पहले साथ छूटा अब दिल भी है टूटा
हमें ना पता था कि होगा वो झूठा
बंद थी जो आँखे अब खोल रही हूँ
पापा, फ्रिज वाली श्रद्धा मै बोल रही हूँ
कसम झूठी खाकर दिलाता था दिलासा
ही ये ना पता था कि खून का है प्यासा
टुकड़ों में करके जब फ्रिज मे सजाया
कलेजे को उसको तब ठंडक है आया
खुश देख उसको मै भी झूम रही हूँ
कैसी मिली जन्नत कहाँ घूम रही हूँ?
पापा फ्रिज वाली श्रद्धा मै अपनी बोल रही हूँ
पापा फ्रिज वाली श्रद्धा मै बोल रही हूँ ।।