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बूंदे बारिश ने छिड़क दीं,
धरती के हर छोर पर,
दास्तां-ए दिल की सुनकर,
मानो आसमां रो पड़ा।।

शारद पंडित प्रशांत कुमार 'पी.के.'
पाली, हरदोई (उप्र)