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क्या करूं मैं अपनी भावनाओं को हिंदी में प्रकट करना जानती हूं,,,
हमारे यहां इतने भाषाएं है
इतने सारे कलाए है
इतने सारे तौर तरीके हैं
मगर आज लोगों के दिल में भाषाएं के प्रति कुछ अच्छे भाव नहीं हैं ।।
क्यों आज भी लोगो को अपने भाषा को मान्यता दे
ये कहना पड़ रहा हैं।।।
जो जिस भाषा में लिखना चाहे वो भाषाएं चुनने का अधिकार सिर्फ भारत में हैं।।।
इस भारत को भाषा के प्रधान मत बनाइए,,
ये भारत है ही सभी भाषाओं का मिलन,
सभी कला के माध्यम।।।
मातृ भाषा जो भी हों,
भारत में रहे हर भाषा अपने मातृ भाषा ही है
क्योंकि भारत माता तो सबकी है
सभी कहते सुना है
भारत माता की जय।।।