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मेरे प्यारे पति देव जी, माना मैं बहुत फालतू लिखती हूँ,
पर प्यार तो आपसे ही करती हूं,
हां माना मैं बहुत जल्दी रोने लगती हूँ, गुस्सा बहुत ज़्यादा करती हूँ, पर प्यार भी तो आप ही से करती हूँ, लड़ती भी तो आप ही से हूँ,
आप को देख दिन भर की थकान गुस्सा सब दूर हों जाता है, मेरा दिल आप को अपने पास पा कर दुनियाँ को भूल जाता है, माना कल के लिखे शब्द मेरे आपको अच्छे नई लगें, पर क्या वो सच नहीं था,
हां आप सही कहते हों, लिखने से अच्छा कही ओर मन लगाऊं तो अच्छा है मेरे लिए, पर आप भी तो जानते हों ना, मैं बिना लिखें रह हि नई पाती हूँ, दुनियाँ से मतलब नई मुझें, मैं तो अपना लिखती हूँ, गैर की फ़िक्र में खुदको हर्ट करना "छोड़" दिया मैने, अब मैं अपने आप पर लिखती हूँ, (जहां कदर नही, वहा जाना नहीं)
Luvv uhh meri Jaan 💞😍😘😘😘