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किसी मंदिर पर सिर झुकाना चाहता हूं,
खोए हुए को फिर पाना चाहता हूं।
उस वक्त कुछ जादू हुआ करता था,
मैं आज को भी जादू बनाना चाहता हूं,!
साथ से प्रीत मिलाना चाहता हूं,
उसको फिर आजमाना चाहता हूं।
इस पुष की शीत में बाहर बैठा,
मैं एक लाल गुलाब हो जाना चाहता हूं,!
वक्त को वक्त लौटाना चाहता हूं,
चलते चलते दरिया में खो जाना चाहता हूं।
जिस पगडंडी से प्यार है मुझे,
उस पर चलते हुए जान दे जाना चाहता हूं,!
आपको मैं दिल बनाना चाहता हूं,
अपना घर मान आपको सजाना चाहता हूं।
आज जो सालों से लाश बन बैठा हूं,
मैं दोबारा उठ खड़ा हो जाना चाहता हूं,!