10 Reads
यह कैसा तन है,कैसा मन है
किसको समर्पित यह मन है।
यह संसार दुखों का सागर
सुखी यहां किस का मन है।।
केवल प्रेम भरा मन ही
सुख का अनुभव दे सकता है।
बिना प्रेम के ये तन तो
जर जर माटी की काया है।।
सुना है बसंत में बोरा जाती है
जीवन की हर सूखी डाली।
लेकिन बिना मधुर प्रेम के
सूखी रह जाती है कुछ डाली।।
प्रेम भरे बोल ही केवल
मन को हराभरा कर सकते हैं।
कोन है ऐसा मन बोलो ।
जो बिन प्रेम हर्षाया है।।
प्रेम पुरातन,प्रेम पयोनिधि
प्रेम अमर,प्रेम अमोलक।
दुनिया के किसी रतन ने
इतना मोल नहीं पाया है।।