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सूनो,जितनी भी बातें कहनी हो ना गले लगा के कहो, क्योंकि डॉटते हो ना तुम तो बहुत गुस्सा आता है!
तुम ना मेरी नज़रो से ओझल ना हुआ करो यूँ ही,
मेरा मासूम सा ये अवारा दिल कहीं सहम सा जाता है!
जो भी बात है यूँ छुपाया ना करो,थोड़ा सा हक़ दे कर
हमें भी 'तुम्हारे सुःख दुःख का भागिदार बनाया करो!
तुम्हारी बाहों में थोड़ी देर रहने की इजाज़त दे दो,
तो,दर्द मरहम बनकर ज़ख्मो का इलाज कर जाता है!
दिल में कितनी भी नाराजगी शामिल क्यों ना हो पर,
कुछ पल का ही साथ मगर हज़ार यादे सजो जाता है!