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हम अवनि और तुम अंबर,
ज्ञात नही कोई मिलन डगर;
कैसे पूरा होगा लम्बा सफ़र,
ह्रदय अतल हुआ है, असर।

हम दृढ़ विश्वास धागों बंधे,
ह्रदय ले मिलन के बुलबुले;
प्रेम के पतली डोर पर चले,
लड़खड़ाए कभी हिले डुले।

पल - पल मन प्रेम तरंगनी,
अवनि - अंबर स्नेह तरनी;
भावना नांव तरनी- तैरानी,
हमें हार कभी नहीं माननी।

अंबर चाँदनी अवनि उतरी,
निर्मल ओस अवनि बरसी;
चहुं दिशा सुर ताल महिर्षी,
प्रेम को अवनि नाहि तरसी।