...

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कामना जो हृदय को तुम्हारी रही.
किन्तु यह आरज़ू भी कुंवारी रही .

दृष्टियों में हुईं मंत्रणायें मगर,
प्यार पर ये सियासत ही भारी रही ..

/© Ananya Rai Parashar